शनिवार, 11 अप्रैल 2009

तन्हा

तुझसे तन्हा होकर हम तन्हाई में खोये है !

पलकों ने पोछे है आसूं जब जब भी हम रोये है !!

दिल के दर्द को दिल ही जाने और कोई क्या जाने गा !

हम तो अपने दिल के साथ फुट फुट कर रोये है !!

वीरेन्द्र "कनक" चोलकर

सोमवार, 6 अप्रैल 2009

पल पल मुझे मौत आती रही !

जिन्दगी भी मुझे यूँ श्ताती रही !!

कभी मर गये हम कभी जी उठे !

मौते आती रही मौते जाती रही !!

आपने आगोसे में लेन की चाह से !

मौते भी आपनी बाहे फेयेलाती रही !!

वीरेंद्र "कनक" चोलकर