तुझसे तन्हा होकर हम तन्हाई में खोये है !
पलकों ने पोछे है आसूं जब जब भी हम रोये है !!
दिल के दर्द को दिल ही जाने और कोई क्या जाने गा !
हम तो अपने दिल के साथ फुट फुट कर रोये है !!
वीरेन्द्र "कनक" चोलकर
पल पल मुझे मौत आती रही !
जिन्दगी भी मुझे यूँ श्ताती रही !!
कभी मर गये हम कभी जी उठे !
मौते आती रही मौते जाती रही !!
आपने आगोसे में लेन की चाह से !
मौते भी आपनी बाहे फेयेलाती रही !!
वीरेंद्र "कनक" चोलकर