लहेरायेगा अमर तिरंगा इज्जत और इमान से !
टकरा लेंगे हम मतवाले हर अंधी तूफान से !!
खून पसीना देकर हमने इसका रंग सजाया है !
टकराया है जोभी हमसे आख़िर में पछताया है !!
वीरेंदर "kanak" चोलकर