तुझसे तन्हा होकर हम तन्हाई में खोये है !
पलकों ने पोछे है आसूं जब जब भी हम रोये है !!
दिल के दर्द को दिल ही जाने और कोई क्या जाने गा !
हम तो अपने दिल के साथ फुट फुट कर रोये है !!
वीरेन्द्र "कनक" चोलकर
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