शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

(सेसी कान्त ससी द्वारा रचित)
गाँधी एक बिचार है !
अहिंसा का ब्य्ब्हर है !!
ना गोंडसे की गोली भी,
गाँधी को मार पाई है !
जय जय कार गाँधी जी की,
नारों में लगी है सदा !
जिसके बल पे नेताओ ने,
कुर्सिय ही पाई है !!
गाँधी जी को गाली देने बाले,
खासो-आम सुनो !
आज तुम अखबारों की,
सुर्खियो में छा जाओ गे,
गाँधी तो अमर इतिहास में रहेंगे सदा !
कल तुम रद्दी अखेबरो का ढेर बन जाओगे !!