बुधवार, 25 मार्च 2009

खामोसे आँगन

बड़ा खामोश आँगन है , जरा पायल तो छान्काओ!


थोडी बेचेनी है दिल में जरा इस दिल को समझाओ !!




कहा था क्या अभी तुमने उसे मै सुन नही पाया !


मरी हर बात बन जाए जो तुम वो बात दोहराओ !!

खाली हो जब दिल का कई गम घर बनते है !


मेरा हर गम जो तुम इस दिल में बस जाओ !!




तारे होतो को गालो को तेरे बालो को क्या देखू !


मेरी धड़कन ना रुक जाए मुझे इतना ना तड़पाओ !!


विरेन्द्र "कनक" चोलकर

रविवार, 22 मार्च 2009

तुजसे तनहा होकर हम तन्हाई में खोये हाई पलकों ने पोछे है आशू जब जब भी हम रोये है

तेरे बारे में जब सोच नही था

मै तनहा था मगर इतना नही था