पल पल मुझे मौत आती रही !
जिन्दगी भी मुझे यूँ श्ताती रही !!
कभी मर गये हम कभी जी उठे !
मौते आती रही मौते जाती रही !!
आपने आगोसे में लेन की चाह से !
मौते भी आपनी बाहे फेयेलाती रही !!
वीरेंद्र "कनक" चोलकर
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