सोमवार, 6 अप्रैल 2009

पल पल मुझे मौत आती रही !

जिन्दगी भी मुझे यूँ श्ताती रही !!

कभी मर गये हम कभी जी उठे !

मौते आती रही मौते जाती रही !!

आपने आगोसे में लेन की चाह से !

मौते भी आपनी बाहे फेयेलाती रही !!

वीरेंद्र "कनक" चोलकर

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